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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

वारिद वंदना

(गीत)

मेरे जीवन में हँस दीं हर

वारिद-झर!


ऐ आकुल-नयने!
सुरभि, मुकुल-शयने!
जागीं चल-श्यामल पल्लव पर

छवि विश्व की सुघर!


पावन-परस सिहरीं,
मुक्त-गन्ध विहरीं,
लहरीं उर से उर दे सुन्दर

तनु आलिंगन कर!


अपनापन भूला,
प्राण-शयन झूला,
बैठीं तुम, चितवन से संचर

छाये घन अम्बर!

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