समस्त रचनाकारों को मेरा शत शत नमन .....

सोमवार, 14 मार्च 2011

अश्वमेध का घोड़ा

मंच वायदे झंडे नारे
हलचलें सारी ख़ामोश हैं

खामोश हैं राजनीति के आगे मशाल लेकर चलनेवाले

अश्वमेध का घोड़ा
अब सरपट दौड़ेगा
कौन है जो रास इसकी खींचेगा

छत्रप सब मद में चूर हैं अभी भी
किनारे लगा वाम भी
उम्मीदें लगती हैं धराशाई हुई
सिंघनाद है गूँज रहा
पश्चिम ख़ुश हो रहा
पढ़े जा रहे मंत्र निजीकरण निजीकरण निजीकरण

आवारा पूँजी आओ
आसन पर विराजो
हवि देंगे हम किसानों की श्रमिकों की मामूली सब लोगों की
निर्मला गर्ग

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