बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे पाया
सजन घर ले चली, सजन घर मैं चली
यादों के लेकर साये, चली घर पराये, तुम्हारी लाड़ली
कैसे भूल पाऊँगी मैं बाबा, सुनी जो तुमसे कहानियाँ
छोड़ चली आँगन में मइया, बचपन की निशानियाँ
सुन मेरी प्यारी बहना, सजाये रहना, ये बाबुल की गली
सजन घर मैं चली ...
बन गया परदेस घर जन्म का, मिली है दुनिया मुझे नयी
नाम जो पिया से मैं ने जोड़ा, नये रिश्तों से बँध गयी
मेरे ससुर जी पिता हैं, पति देवता हैं, देवर छवि कृष्ण की
सजन घर मैं चली ...
रचनाकार: रविंद्र रावल
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