समस्त रचनाकारों को मेरा शत शत नमन .....

सोमवार, 14 मार्च 2011

आत्मविश्वास

(१)

गौण, अतिशय गौण है, तेरे विषय में
दूसरे क्या बोलते, क्या सोचते हैं।
मुख्य है यह बात, पर, अपने विषय में
तू स्वयं क्या सोचता, क्या जानता है।

(२)

उलटा समझें लोग, समझने दे तू उनको,
बहने दे यदि बहती उलटी ही बयार है,
आज न तो कल जगत तुझे पहचानेगा ही,
अपने प्रति तू आप अगर ईमानदार है।

रामधारी सिंह "दिनकर"


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