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सोमवार, 14 मार्च 2011

अब और के प्रेम के फंद परे

अब और प्रेम के फंद परे

हमें पूछत- कौन, कहाँ तू रहै ।

अहै मेरेह भाग की बात अहो तुम

सों न कछु 'हरिचन्द' कहै ।

यह कौन सी रीति अहै हरिजू तेहि

भारत हौ तुमको जो चहै ।

चह भूलि गयो जो कही तुमने हम

तेरे अहै तू हमारी अहै ।
भारतेंदु हरिश्चंद्र

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