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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

उक्ति (जला है जीवन यह)

जला है जीवन यह
आतप में दीर्घकाल;
सूखी भूमि, सूखे तरु,
सूखे सिक्त आलबाल;
बन्द हुआ गुंज, धूलि--
धूसर हो गये कुंज,
किन्तु पड़ी व्योम उर
बन्धु, नील-मेघ-माल।


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