समस्त रचनाकारों को मेरा शत शत नमन .....

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

खुला आसमान

(गीत)

बहुत दिनों बाद खुला आसमान!
निकली है धूप, खुश हुआ जहान!

दिखी दिशाएँ, झलके पेड़,

चरने को चले ढोर--गाय-भैंस-भेड़,

खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़--
लड़कियाँ घरों को कर भासमान!


लोग गाँव-गाँव को चले,

कोई बाजार, कोई बरगद के पेड़ के तले

जाँघिया-लँगोटा ले, सँभले,
तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान!


पनघट में बड़ी भीड़ हो रही,

नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी,

बातें करती हैं वे सब खड़ी,
चलते हैं नयनों के सधे बाण!

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