- (गीत)
- (गीत)
और और छबि रे यह,
नूतन भी कवि, रे यह
- और और छबि!
- और और छबि!
- समझ तो सही
जब भी यह नहीं गगन
- वह मही नहीं,
- वह मही नहीं,
- बादल वह नहीं जहाँ
- छिपा हुआ पवि, रे यह
- और और छबि।
- और और छबि।
- यज्ञ है यहाँ,
जैसा देखा पहले होता अथवा सुना;
- किन्तु नहीं पहले की,
- यहाँ कहीं हवि, रे यह
- और और छबि!
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