यँहा पर हिन्दी साहित्य के प्रमुख रचनाकार एव कवियो कि अनमोल कृतियों के संकलन करने का प्रयास किया है
लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुनाजल,चूम सरित की सलिल राशि खिल रहे कुमुद दलकुमुदों के स्मिति-मन्द खुले वे अधर चूम कर,बही वायु स्वछन्द, सकल पथ घूम घूम करहै चूम रही इस रात को वही तुम्हारे मधु अधरजिनमें हैं भाव भरे हुए सकल-शोक-सन्तापहर!
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