समस्त रचनाकारों को मेरा शत शत नमन .....

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

सच है

यह सच है:-
तुमने जो दिया दान दान वह,
हिन्दी के हित का अभिमान वह,
जनता का जन-ताका ज्ञान वह,
सच्चा कल्याण वह अथच है--
यह सच है!

बार बार हार हार मैं गया,
खोजा जो हार क्षार में नया,
उड़ी धूल, तन सारा भर गया,
नहीं फूल, जीवन अविकच है--
यह सच है!


कोई टिप्पणी नहीं: