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गुरुवार, 2 जून 2011

भाग रहा है तू आखिर किसके पीछे

भाग रहा है तू आखिर किसके पीछे 
वह जो इस जगत में व्यापत है 
कण -कण में उसके पीछे !
देख स्वयं को पहले तू 
पायेगा तु उसको अपने भीतर 
भटक रहा है तु जिसके पीछे निरंतर !
उसकी माया वही है जाने 
जिसने मुझे व् तुझको बनाने को ठानी 
तु भी उसको पायेगा जब 
माया के चक्र को तोड़ जायेगा !
बहुत ही सरल बहुत ही आसान 
मार्ग है उसको पाने का 
लोभ ,मोह , माया सब है उसके साधन 
जिससे हो जाता है तू उससे दूर 
फिर भटकता रहता है तु
अनवरत व् बद्स्तुर!
तु भी उसको पायेगा जब 
हो जायेगा तु इनसे दुर!
तो अब तु करता है 
किसका इंतजार हो जा 
तु उसको पाने के लिए तैयार 
कर दे तु इन् सब का त्याग 
फिर झांक ले अपने भीतर 
पायेगा तु उसके अपने अन्दर 
भाग रहा है तू आखिर जिसके  पीछे 
वह जो इस जगत में व्यापत है 
कण -कण में उसके पीछे !!

Mani Bhushan Singh



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